मुट्ठी से सरकता जीवन I Abhishek Shukla I Poetry
0मुट्ठी से सरकता जीवन । अभिषेक शुक्ल मुट्ठी में बंद रेतधीरे-धीरे सरकने लगती है और एक वक़्त के बाद हम अपनी खाली मुट्ठी लिए बैठे रह...
मुट्ठी से सरकता जीवन । अभिषेक शुक्ल मुट्ठी में बंद रेतधीरे-धीरे सरकने लगती है और एक वक़्त के बाद हम अपनी खाली मुट्ठी लिए बैठे रह...
पहले पहल तो मुझ को हिचकी आती थी । आकाश अथर्व पहले पहल तो मुझ को हिचकी आती थीबा’द में तेरे नाम की चिट्टी आती थी...
उदासी बैठ के उसकी कलाई काटती है । अभिसार गीता शुक्ल उसी तरह से मुझे ये जुदाई काटती हैकिसी परिन्दे को जैसे रिहाई काटती है कोई...
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा I शहरयार जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगासमझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा...
और फिर एक दिन I सुजाता गुप्ता और फिर एक दिनएक शहर बेटे को बुला लेता है। और फिर एक दिन एक शहर पिता को रोक...
माँ । Poetry I समृद्धि माँ तुम्हेंकुछ कम माँ होना चाहिए था ताकि तुम्हारे हिस्से आ पाती थोड़ी ज़्यादा नींद,कुछ कम थकान,थोड़ा लम्बा वसंतऔर ज़रा देर...
भटकाव । हेमन्त परिहार भटकाव मंज़िल के करीब पहुँचने का पहला रास्ता है,जब तक आप भटकना नहीं जानतेतब तक ठहराव को भी जान पाना मुश्किल है।...
मुझे चाहिए । अशोक वाजपेयी मुझे चाहिए पूरी पृथ्वीअपनी वनस्पतियों, समुद्रोंऔर लोगों से घिरी हुई,एक छोटा-सा घर काफ़ी नहीं है। एक खिड़की से मेरा काम नहीं...
कितने दिन और बचे हैं । अशोक वाजपेयी कोई नहीं जानता किकितने दिन और बचे हैं? चोंच में दाने दबाएअपने घोंसले की ओरउड़ती चिड़िया कब सुस्ताने...
एक कबूतर चिट्ठी लेकर पहली-पहली बार उड़ा I दुष्यंत कुमार एक कबूतर चिठ्ठी ले कर पहली—पहली बार उड़ा मौसम एक गुलेल लिये था पट—से नीचे आन...