Gullak I Movie Review I Vijit Singh Studio

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मध्यम और निम्न मध्यम वर्गीय परिवार की आत्मा को छूता है ‘गुल्लक’। रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छोटी-छोटी चीज़ों का संघर्ष और उसी संघर्ष के बीच पूरे परिवार के साथ हँस कर आँगन को गूँज से भर देने का उत्साह। दो भाईयों के बीच का प्रेम और उनमें होने वाली मीठी तकरार, पति-पत्नी के बीच का समन्वय, उनका समर्पण और कहासुनी की हल्की फ़ुहार। निराशा के दौर में पूरे परिवार का एकत्रित होकर विकल्प तलाशने की जद्दोजहद, उत्साह के क्षणों में सिर्फ़ कोल्ड ड्रिंक और पकौड़े पर पूरे मोहल्ले को पार्टी देने की पहल। बोर्ड परीक्षा में पेपर अच्छा होने पर भी रिज़ल्ट के दिन होने वाली घबराहट और घर के बड़े भाई को उचित रोज़गार ना मिलने की छटपटाहट। सब कुछ बहुत उम्दा तरीक़े से रेखांकित किया गया है इस फ़िल्म में। अगर बचपन में टी.वी. के झिलमिलाने पर उसको बगल और पीछे से ठोक देने पर फ़िर से सही हो जाने के एहसास को आप ने जिया है, तो इस फ़िल्म को एक बार देखना ज़रूर बनता है। – Vijit Singh I Movie Review

@VijitSinghStudio

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