Kota Factory I Season 2 I Netflix I Movie Review by Vijit Singh
तकरीबन ढाई साल के इंतज़ार के बाद Kota Factory का सीज़न-2 Netflix पर आ ही गया। पहले सीज़न की कहानी जिस मोड़ पर समाप्त हुई थी, दूसरे सीज़न का बेसब्री से इंतज़ार लाज़मी था। कहानी रंगीन स्क्रीन से शुरू हुई तो लगा कि शायद इस बार कोटा के बच्चों के जीवन में रंग होगा लेकिन कुछ ही मिनटों में स्क्रीन फिर से black & white हो गयी जो सांकेतिक रूप से इस बात की बुनियाद रख गयी कि इस सीज़न में भी छात्रों के जीवन में संघर्ष बना रहेगा।
जीतू भैया ने इस बार भी महफिल लूट ली है। योग्य और महत्वकांक्षी इंसान कभी किसी मुकाम पर संतुष्ट नहीं होता, वो हमेशा खुद को चुनौती देता है कुछ नया करने की, खुद को प्रमाणित करने की। सब कुछ दाँव पर लगा देगा लेकिन एकरसता भरा जीवन नहीं जियेगा। कुछ ऐसा ही किरदार है जीतू भैया का इस सीज़न में। अच्छी भली नौकरी छोड़कर कुछ क्रांतिकारी करने के लिए अपना सेंटर शुरू किया और तमाम चुनौतियों के बावजूद उसे सफल भी बना लिया।
लेकिन जीतू भैया के सफल होने से ज़्यादा ज़रूरी है ये जानना कि उन बच्चों का क्या हुआ जिनकी बुनियाद पर इस वेब सिरीज़ की इमारत खड़ी है! तो उसका उत्तर ये है कि इस सीज़न में भी उन बच्चों ने आईआईटी का एंट्रैन्स exam नहीं दिया है, उसके लिए आप को अगले सीज़न का इंतज़ार करना पड़ेगा।
ये सिरीज़ कुछ छोटी-छोटी बातों को बहुत उम्दा तरीके से रेखांकित करती है जो व्यावहारिक जीवन के दृष्टिकोण से बेहद ज़रूरी है। जैसे जीतू भैया का मंत्र “औसम” यानी ‘औषधि, स्वास्थ्य और माँ’। जीतू भैया एक दृश्य में कहते हैं कि आई.आई.टी की तैयारी के दौरान शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यकतानुसार औषधि लेते रहना चाहिए, स्वास्थ्य जांच कराते रहना चाहिए और सब करने के बाद भी अगर आराम न मिले तो जल्द से जल्द माँ को बुला लेना चाहिए। कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जो माँ के बिना सही नहीं हो सकती। जीतू भैया का ये संवाद हमारे जीवन की बहुत बड़ी हक़ीक़त है।
संवेदनशील छात्र जो बहुत जल्द किसी समस्या से परेशान हो जाते हैं उनकी मानसिक स्थिति को समझ कर एक शिक्षक को किस तरह उससे संवाद स्थापित करना चाहिए ये भी इस सिरीज़ में जीतू भैया के माध्यम से उम्दा तरीके से रेखांकित किया गया है। इसके अलावा दोस्तों का समर्पण, प्रेम का आकर्षण, गुरु-शिष्य का भावनात्मक रिश्ता, सीखने की भूख, जीत की तड़प, हारने का भय और आख़िरी समय तक डटे रहने का साहस सब कुछ खूबसूरत तरीके से उकेरा गया है।
जीतू भैया का हार का जश्न मनाने का तरीका भी व्यावहारिक जीवन में अपनाया जा सकता है।
कुछ जगहों पर रफ्तार थोड़ी धीमी ज़रूर लगी, लेकिन वक़्त रहते फिर से सही रफ्तार पकड़ने में कामयाब हो जाती है Kota Factory. आख़िरी एपिसोड के अंतिम मिनट में जो घटना घटी वो हृदयविदारक थी। वो घटना क्या थी उसके लिए आप को Kota Factory का सीज़न-2 देखना होगा।
कुल मिलाकर Kota Factory का ये सीज़न आप को पूरी तरह बांध कर रखता है और अगले सीज़न का इंतज़ार करने के लिए बाध्य भी करता है।
Directed by Raghav Subbu
Cast of Kota Factory Season 2
- Jeetendra Kumar’s Jeetu Bhaiya.
- Mayur More’s Vaibhav Pandey.
- Ranjan Raj’s Balmukund Meena.
- Alam Khan’s Uday Gupta.
- Ahsaas Channa’s Shivangi Ranawat.
- Rohit Sukhwani’s Rohit.
- Revathi Pillai’s Vartika Ratawal.
- Urvi Singh’s Meenal Parekh.
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