Adarsh Bhushan

आदमी का गाँव । Adarsh Bhushan I Poetry

0

आदमी का गाँव । आदर्श भूषण हर आदमी के अंदर एक गाँव होता हैजो शहर नहीं होना चाहताबाहर का भागता हुआ शहरअंदर के गाँव को बेढंगी...