आदमी का गाँव । Adarsh Bhushan I Poetry
0आदमी का गाँव । आदर्श भूषण हर आदमी के अंदर एक गाँव होता हैजो शहर नहीं होना चाहताबाहर का भागता हुआ शहरअंदर के गाँव को बेढंगी...
आदमी का गाँव । आदर्श भूषण हर आदमी के अंदर एक गाँव होता हैजो शहर नहीं होना चाहताबाहर का भागता हुआ शहरअंदर के गाँव को बेढंगी...
अपने घर की तलाश में । निर्मला पुतुल अंदर समेटे पूरा का पूरा घरमैं बिखरी हूँ पूरे घर में पर यह घर मेरा नहीं है बरामदे...
बुख़ार में कविता I श्रीकांत वर्मा मेरे जीवन में एक ऐसा वक्त आ गया हैजब खोने कोकुछ भी नहीं है मेरे पास –दिन, दोस्ती, रवैया,राजनीति,गपशप, घासऔर...
एक खिड़की I अशोक वाजपेयी मौसम बदले, न बदलेहमें उम्मीद कीकम से कमएक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए। शायद कोई गृहिणीवसंती रेशम में लिपटीउस वृक्ष के...
मुलाक़ातें I आलोक धन्वा अचानक तुम आ जाओ इतनी रेलें चलती हैंभारत में कभी कहीं से भी आ सकती होमेरे पास कुछ दिन रहना इस घर...
कितना अच्छा होता है I Kitna Accha Hota Hai Poetryकवि : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना I Written by Sarveshwar Dayal Saxenaकाव्य पाठ : विजित सिंह I Poetry...
मृत्यु । नवीन रांगियाल मृत्यु मेरा प्रिय विषय है लेकिन मैंने कभी नहीं चाहाकि मैं मर जाऊँइतनी छोटी वजह से जहाँकेवल दिल ही टूटा हो और...
हारना I यतीन्द्र मिश्र कई बार जीवन मेंहारना अच्छा लगता हैजैसे झुकना अच्छा लगता है अक्सरअपनी ही बनाईवर्जना के ख़िलाफ़ यह जानना कम दिलचस्प नहींग़लत थे...
कैसे गीत लिखूँ I Kaise Geet Likhoon कवि : डॉ.राजेश हर्षवर्धन I Poet : Dr.Rajesh Harsvardhan काव्य पाठ : विजित सिंह I Poetry recite by Vijit...
उसके प्रेम में I Uske Prem Meinकवि : नवीन रांगियाल I Poet : Navin Rangiyalकाव्य पाठ : विजित सिंह I Poetry recite by Vijit SinghShow name...