माँ के बिना घर I Poetry I Pankaj Prakhar I Vijit Singh
0Maa Ke Bina Ghar I माँ के बिना घर Poetry Written by Pankaj Prakhar I कवि : पंकज प्रखर Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ...
Maa Ke Bina Ghar I माँ के बिना घर Poetry Written by Pankaj Prakhar I कवि : पंकज प्रखर Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ...
Andhera Banane Se Daro I अँधेरा बनने से डरो Poetry Written by Ila Prasad I कवयित्री : इला प्रसाद Poetry recited by Vijit Singh I काव्य...
Maa Ka Jeewan I माँ का जीवनPoetry Written by Ankush Kumar I कवि : अंकुश कुमार Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ : विजित...
Principal Secretary Culture & Tourism Department, Uttar Pradesh, IAS Mukesh Kumar Meshram interview with Vijit Singh In this inspiring podcast, IAS Mukesh Kumar Meshram shares his...
मुट्ठी से सरकता जीवन । अभिषेक शुक्ल मुट्ठी में बंद रेतधीरे-धीरे सरकने लगती है और एक वक़्त के बाद हम अपनी खाली मुट्ठी लिए बैठे रह...
पहले पहल तो मुझ को हिचकी आती थी । आकाश अथर्व पहले पहल तो मुझ को हिचकी आती थीबा’द में तेरे नाम की चिट्टी आती थी...
उदासी बैठ के उसकी कलाई काटती है । अभिसार गीता शुक्ल उसी तरह से मुझे ये जुदाई काटती हैकिसी परिन्दे को जैसे रिहाई काटती है कोई...
जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा I शहरयार जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगासमझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा...
और फिर एक दिन I सुजाता गुप्ता और फिर एक दिनएक शहर बेटे को बुला लेता है। और फिर एक दिन एक शहर पिता को रोक...
माँ । Poetry I समृद्धि माँ तुम्हेंकुछ कम माँ होना चाहिए था ताकि तुम्हारे हिस्से आ पाती थोड़ी ज़्यादा नींद,कुछ कम थकान,थोड़ा लम्बा वसंतऔर ज़रा देर...