माँ के बिना घर I Poetry I Pankaj Prakhar I Vijit Singh
0Maa Ke Bina Ghar I माँ के बिना घर Poetry Written by Pankaj Prakhar I कवि : पंकज प्रखर Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ...
Maa Ke Bina Ghar I माँ के बिना घर Poetry Written by Pankaj Prakhar I कवि : पंकज प्रखर Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ...
Andhera Banane Se Daro I अँधेरा बनने से डरो Poetry Written by Ila Prasad I कवयित्री : इला प्रसाद Poetry recited by Vijit Singh I काव्य...
Maa Ka Jeewan I माँ का जीवनPoetry Written by Ankush Kumar I कवि : अंकुश कुमार Poetry recited by Vijit Singh I काव्य पाठ : विजित...
Tum Chale Jaoge I तुम चले जाओगे Written by Ashok Vajpeyi I कवि : अशोक वाजपेयीPoetry recite by Vijit Singh I काव्य पाठ : विजित सिंह Watch...
मुट्ठी से सरकता जीवन । अभिषेक शुक्ल मुट्ठी में बंद रेतधीरे-धीरे सरकने लगती है और एक वक़्त के बाद हम अपनी खाली मुट्ठी लिए बैठे रह...
और फिर एक दिन I सुजाता गुप्ता और फिर एक दिनएक शहर बेटे को बुला लेता है। और फिर एक दिन एक शहर पिता को रोक...
माँ । Poetry I समृद्धि माँ तुम्हेंकुछ कम माँ होना चाहिए था ताकि तुम्हारे हिस्से आ पाती थोड़ी ज़्यादा नींद,कुछ कम थकान,थोड़ा लम्बा वसंतऔर ज़रा देर...
भटकाव । हेमन्त परिहार भटकाव मंज़िल के करीब पहुँचने का पहला रास्ता है,जब तक आप भटकना नहीं जानतेतब तक ठहराव को भी जान पाना मुश्किल है।...
मुझे चाहिए । अशोक वाजपेयी मुझे चाहिए पूरी पृथ्वीअपनी वनस्पतियों, समुद्रोंऔर लोगों से घिरी हुई,एक छोटा-सा घर काफ़ी नहीं है। एक खिड़की से मेरा काम नहीं...
कितने दिन और बचे हैं । अशोक वाजपेयी कोई नहीं जानता किकितने दिन और बचे हैं? चोंच में दाने दबाएअपने घोंसले की ओरउड़ती चिड़िया कब सुस्ताने...