Poetry

एक खिड़की I Ashok Vajpeyi I Poetry

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एक खिड़की I अशोक वाजपेयी मौसम बदले, न बदलेहमें उम्मीद कीकम से कमएक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए। शायद कोई गृहिणीवसंती रेशम में लिपटीउस वृक्ष के...

मुलाक़ातें I Alok Dhanwa I Poetry

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मुलाक़ातें I आलोक धन्वा अचानक तुम आ जाओ इतनी रेलें चलती हैंभारत में कभी कहीं से भी आ सकती होमेरे पास कुछ दिन रहना इस घर...

मृत्यु I Navin Rangiyal I Poetry

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मृत्यु । नवीन रांगियाल मृत्यु मेरा प्रिय विषय है लेकिन मैंने कभी नहीं चाहाकि मैं मर जाऊँइतनी छोटी वजह से जहाँकेवल दिल ही टूटा हो और...

हारना I Yatindra Mishra I Poetry

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हारना I यतीन्द्र मिश्र कई बार जीवन मेंहारना अच्छा लगता हैजैसे झुकना अच्छा लगता है अक्सरअपनी ही बनाईवर्जना के ख़िलाफ़ यह जानना कम दिलचस्प नहींग़लत थे...